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लेखनी प्रतियोगिता -15-Jun-2023 बन्द दरवाजे



                             बन्द दरवाजे

                 सरिता दिल्ली में अपने बेटा व बहू के पास रह रही थी। बेटा व बहू दोनौ सर्विस करते थे। वह दोनों सुबह साथ साथ ही अपने अपने आफिस चले जाते थे। सरिता घर में अकेली रह जाती थी। सरिता का समय बहुत ही मुश्किल से पास होता था। वह पूरे दिन अकेली बोर होजाती थी। उसका मन नहीं लगता था। यहाँ रहना सरिता की मजबूरी थी। वह करती भी क्या?  सरिता को अपना समय पास करना था।

       जब वह गाँव में रहती थी तब उसको समय का  पता ही नहीं चलता था। क्यौकि गाँव में तो मिलनेजुलने वाली इतनी औरतें थी कि समय का पता ही नहीं चलता था।

         लेकिन जब नवीन के पापा का स्वर्गवास हूआ तब नवीन उनको अपने साथ दिल्ली लेआया था। नवीन ने अर्नी मम्मी को बहुतमुश्किल से आने के लिए राजी किया था। वह दिल्ली आना ही नहीं चाहती थी।

      सरिता का दिल्ली में किसी पडौ़सी के घर आना जाना भी नहीं था। अतः वह पूरे दिन घर में अकेली ही रहती थी।

      उसी समय करौना की बीमारी के चलते आफिस जाना बन्द होगया। अब सभी आफिस वालौ ने घर से काम करवाना शुरू करवा दिया। इस बीमारी में इन्सान इन्सान को भी छूने से डरने लगा। पूरे देश के आफिस बन्द होगये थे। अधिकतर कम्पनिया घर से काम करवा रही थी। इसीलिए नवीन व रूबी भी घर से ही काम कर रहे थे।

      नवीन व रूबी भी अपने आफिस का काम घर से करने लगे। बेटा बहू के घर से काम करने के कारण सरिता को कुछ साहस हुआ कि अब बहू बेटा घर पर ही रहेंगे जिससे अब उसका समय आराम से कट जायेगा।

     लेकिन हुआ इसका कुछ उल्टा ही क्यौकि नवीन व रूबी सुबह नाश्ता करके अपने अपने कमरे में बन्द होजाते थे। उसके बाद वह दरवाजा दोपहर को ही खुलता था। वह भी केवल खाने की प्लेट  अन्दर लेजाने के लिए खुलता था। शीला खाना बनाकर प्लेट में रखकर उनको पकडा़ देती थी।

        इसके बाद वह बन्द दरवाजा शाम को ही खुलता था। सरिता को बन्द दरवाजा देखकर  अब और अधिक घुटन महसूस होती थी।वह सोचती थी कि वह दोनों अलग अलग कमरौ में दरवाजा बन्द करके किससे   बातें करते है। उसको कमरौ का बन्द दरवाजा काटने को दौड़ता था।

        लेकिन नवीन व रूबी पूरे दिन अपने अपने कमरे का दरवाजा बन्द करके रखते थे।क्यौकि उन दोनों की किसीन किसी के साथ मीटिंग चलती रहती थी। इसलिए वह कमरे का दरवाजा बन्द रखते थे।

        सरिता सोचती इससे तो पहले ही अच्छा था कि आफिस से आने के बाद कमसे कम बेटा राजी खुशी तोपूछ लेता था। लेकिन उसने जबसे घर से काम करना शुरू किया है तबसे उसने राजी खुशी पूछना भी बन्द कर दिया।

       नवीन ने अपनी माँ के लिए एक मोबाइल मंगवा दिया। सरिता धीरे धीरे  मोवाइल चलाना सीख लिया। अब सरिता ने भी  फेशबुक व ह्वट्सप चलाना सीख लिया।

     अब सरिता के फेशबुक पर फ्रेन्ड बन गये। अब सरिता भी आपने अलग कमरे में जाकर अपना दरवाजा बन्द करलेती और मोवाइल में ब्यस्त होजाती थी। अब सरिता के पास भी समय नहीं था।

     अब उस घर में तीन बन्द दरवाजे होगये थे। पहले केवल दो ही बन्द दरवाजे थे। अब सरिता को भी अपने मोवाइल के अलावा किसी से बात करने की फुरसत नही थी। वह पूरे दिन मोवाइल में ही लगी रहती थी।

       जब करौना कम होगया।तबभी नवीन व रूबी  घर से ही काम कर रहे थे।  इस तरह उस घर में तीन दरवाजे सुबह से शाम तक बन्द रहते थे। अब सरिता को भी बन्द दरवाजे के अन्दर रहने की आदत आगयी थी। अब उसे कोई घुटन नहीं होती थी।


आजकी दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "



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6 Comments

madhura

16-Jun-2023 06:10 PM

awesome

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Abhinav ji

16-Jun-2023 07:45 AM

Very nice 👍

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Punam verma

16-Jun-2023 12:25 AM

Very nice

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